स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना Swarn Jayanti Gram Swarojgar Yojana in Hindi
Swarn Jayanti Gram Swarojgar Yojana in Hindi | SGSY | Main Features
परिचय
इस योजना की शूरूआत अप्रैल 1999 में की गयी है| इसका मुख्य उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे गुजर- बसर करने वाले ग्रामीण परिवारों को स्वयं सहायता समूहों का संगठन, प्रशिक्षण, ऋण, प्रौद्योगिकी और बाजार से जोड़कर स्वरोजगार प्रदान करना है | यह एक केंद्र संपोषित योजना है जिसके तहत योजना के पूर्व में संचालित 6 योजनाओं (सामेकित ग्रामीण विकास कार्यक्रम, ग्रामीण महिला एवं शिशु विकास कार्यक्रम, ग्रामीण युवाओं के स्वनियोजन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, दस लाख कुआँ, गंगा कल्याण योजना और ग्रामीण कारीगरों को उन्नत किस्म के औजारों की पूर्ति योजना को एक साथ मिलाकर बनायी गयी है|
उद्देश्य
- गरीब परिवारों (स्वरोजगारी) को गरीबी रेखा से ऊपर उठाना,
- आय वृद्धि कार्यक्रम द्वारा सम्पति का सृजन करना,
- बैंक से ऋण एवं सरकारी अनुदान प्रदान करना,
- सहायता प्राप्त परिवारों का कम से कम 2000/- रूपये की आय प्रति महीना योजना प्रारंभ होए के तीन वर्षों के अंतर्गत सुनिश्चित करना|
लक्ष्य : प्रत्येक प्रखंड में तीस प्रतिशत (30%) गरीब परिवरों को 5 साल के अंतर्गत गरीबी रेखा से ऊपर ले जाना|
एस. जी. एस. वाई. की मुख्य विशेषताएँ
ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्योगों व व्यवसायों का चुनाव करना जो चुनाव करना जो स्थानीय संसाधनों एवं आवश्यकताओं पर आधारित हो और जिनके विपणन की व्यवस्था सुनिश्चित हो|
जिस परिवार को सहायता दे जाएगी उसे स्वरोजगार कहा जाएगा जो व्यक्तिगत/ समूह (स्वयं सहायता समूह) हो सकता है| समूह को प्राथमिकता दी जाएगी|
तीन (3) साल में योजना द्वारा सहायता प्राप्त परिवारों को गरीबी रेखा ऊपर उठाना|
स्वरोजगार योजना के कार्यान्वयन में हर स्तर पर जैसे स्वयं सहायता समूह के द्वारा गरीब लोगों को संगठित करना, क्षमता विकास, कलस्टर पैटर्न पर उद्योगों/ व्यवसायों का चुनाव और परियोजना विपणन, कार्यान्वयन, तकनीक, ऋण एवं बाजार का प्रबंधन करना|
छोटे उद्योगों एवं व्यवसायों की स्थापना के लिए समूह प्रस्ताव पर बल दिया जाता है| अत: इसके लिए प्रखंड स्तर 4-5 क्रियाकलापों का स्थानीय संसाधनों की उपलब्धता को देखते हुए चुनाव तथा पंचायत समिति की स्वीकृति से जिला स्तर पर डी. आर. डी. ए. के द्वारा होत्ता है|
योजना के अंतर्गत प्रत्येक मुख्य क्रियाकलाप को परियोजना आधार पर बनाया जाएगा| परियोजना प्रतिवेदन पहचान की गई मुख्य क्रियाकलापों पर बनाया जाएगा| संबंधित सरकारी विभाग, बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थान पूर्णरूप से परियोजना प्रतिवेदन बनाने एवं कार्यान्वयन में सहयोग करेंगे|
यह योजना ऋण सह अनुदान कार्यक्रम है फिर भी ऋण एक विवेचनात्मक होगा तथा अनुदान एक बहुत ही छोटा कारक होता| इस कारण यह योजना बैंक से सहबद्धता को ज्यादा महत्व देती है| वे लोग परियोजना का प्रयोजना तैयार करने में, क्रियाकलाप की पसंद में घनिष्ट संबंध स्थापित करेंगे|
यह योजना जिनके लिए ऋण स्वीकृत किया है उसका दक्षता विकास के लिए प्रशिक्षण पर जोर देती है| इसके लिए जिला ग्रामीण विकास एजेंसी को बजट का 10% वित्त प्रशिक्षण के लिए सौंपा जाता है इसे एस.जी.एस.वाई. प्रशिक्षण कोष कहते है|
योजना के अंतर्गत स्वरोजगार द्वारा उत्पादित वस्तुओं का बाजार उपलब्ध कराया जायेगा और मुख्यत: बाजारों का विकास, सलाह, सेवा आदि के साथ- साथ संस्थानिक व्यवस्था भी की जायेगी|
योजना के अंतर्गत अनुदान 30% तक होगा जो अधिकतम 7500 रूपया है| अनुसूचित जन जाति/अनुसूचित जाति के लिए अनुदान 50% तक होगा जिसकी अधिकतम सीमा 10,000 रूपया तक जो सकती है| स्वरोजगार समूह के लिए यह अनुदान योजना का कूल लागत के आधार पर 1.25 लाख रूपये तक हो सकता है लेकिन सिंचाई परियोजनाओं के लिए अनुदान की कोई सीमा नहीं है | ऋण पहले उपलब्ध होगा, अनुदान अंत में मिलेगा|
इस योजना के अंतर्गत निर्धनता परिवार सबसे पहले लक्षित होंगे: अनुसूचित जनजाति स्वरोजगारी 50% महिलाएँ 40% एवं विकलांग 3% के अनुपात में लाभान्वितों का चयन होगा|
योजना का क्रियान्वयन जिला में जिला ग्रामीण विकास एजेंसी, पंचायत समिति के जरिये करेगी| योजना नियंत्रण की पद्धति, क्रियान्वयन एवं अनूश्रवण के कार्य में बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थान, जैसे पंचायती राज संस्थान, गैरसरकारी संगठन एवं तकनीकी संस्थान भी सम्मिलित होगें|
वित्त का अनुपात 70% भारत सरकार एवं 25% राज्य सरकार वहन करेगी|
मुख्य क्रियाकलापों का चुनाव
योजना का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक सहायता प्राप्त परिवार को छोटे- छोटे उद्योग एवं व्यवसाय के द्वारा 3 वर्षों के अंतर्गत गरीबी रेखा से ऊपर उठाना है| कभी – कभी यह देखा गया है की गरीबी रेखा से ऊपर उठने के बाद फिर परिवार की आय घट जाती है क्योंकी हरेक पंचवर्षीय योजना में यह 11000/- रूपया था जिसे नवीं पंचवर्षीय योजना में बढ़ाकर 13000-19650/- रूपये प्रतिवर्ष किया गया| इसलिए इस योजना के तहत बैंक कर्ज (किस्त)भुगतान के बाद सहायता प्राप्त परिवारों का 2000/- रूपया से कम आय महीना में नहीं होना चाहिए|
इस योजना के अंतर्गत ऐसे क्रियाकलापों को चुना जाता है जो इस प्रकार है –
(क) स्थानीय संसाधन पर आधारित हो,
(ख) लोगों की रुचि के अनुकूल हो,
(ग) लोगों की दक्षता से सम्बन्धित हो,
(घ) स्थानीय या दूराव बाजारों में खरीददारी कर सकें|
क्रियालापों का चुनाव अचानक या अस्थायी नहीं होना चाहिए बल्कि सोच- समझकर करना है| यह प्रखंड स्तरीय समिति का दायित्व है किचुनाव प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी हो| प्रत्येक प्रखंड में गरीब परिवारों की एक सूची बनाई जाएगी क्योंकि तीस प्रतिशत गरीब परिवारों को पांच साल में गरीबी रेखा से ऊपर उठाना है| प्रखंड स्तरीय समिति यह विश्लेष्ण करेगी किक्षेत्र में क्या- क्या कृषि क्रियाकलापों, ग्रामीण शिल्प एवं कारीगरी के कार्य संभव है, नाबार्ड, औद्योगिक बैंक या अन्य तकनीकी संस्थान ने अगर सर्वेक्षण किया हो तो उन आंकड़ों का विश्लेष्ण का उद्योग/व्यवसाय का चुनाव होगा|
जहाँ तक कृषिगत क्रियाकलापों का सवाल है सिंचाई सुविधा व्यक्तिगत/ समूह को दिया जा सकता है इसके बाद अंर्तगत चेकडेम, कुवां, पंप डीप सिंचाई आदि की सुविधा दी जाएगी| जिससे सुनिश्चित सिंचाई हो सके|
उपरोक्त कारकों को विश्लेष्ण करते हुए प्रत्येक प्रखंड में 8-10 क्रियाकलापों का चुनाव करना है, जिसे प्राथमिकता के आधार पर सूचीगत कर पंचायत समिति के ग्राम सभा में प्रस्तुत किया जाना चाहिए| पंचायत समिति इस पर अपनी अनुशंसा देगी| चुने हुए क्रियाकलापों की सूची तथा पंचायत समिति की अनुशंसा के साथ प्रखंड विकास पदाधिकारी, जिला एस.जी.एम्.वाई. समिति प्रत्येक प्रखंड से प्रस्ताव लेकर अच्छी तरह जाँच सुनिश्चित करेगी| समिति 8-10 क्रियाकलापों में से 4-5 क्रियाकलापों के लिए प्रशिक्षण, सुविधा, बाजार उपलब्धि आदि बिंदूओं पर जाँच करेगी|
क्रियाकलापों को चुनाव के बाद डी. आर.डी.ए. हरेक प्रखंड के लिए एक बृहत समय- सारिणी बनाएगी तथा इस समय – सारिणी को प्रखंड में प्रकाशित करेगी ताकि हर किसी को यह जानकारी हो जाए किक्रियाकलापों का चुनाव हो गया है|
यह क्रियाकलाप केवल पांच (5) साल के लिए मान्य होगा| दो (2) साल के अंत में मूल्यांकन किया जायेगा|
परियोजना प्रतिवेदन का निर्माण
प्रत्येक मुख्य क्रियाकलाप के लिए परियोजना प्रतिवेदन का होना जरूरी है जिसमें अनेक तत्व जैसे – प्रशिक्षण, ऋण, प्रौद्योगिकी, ढाँचा और बाजार को अंकित करना है| परियोजना प्रतिवेदन यह भी दर्शाएगी कि प्रखंड में कितने लोगों का समूह के आधार पर आर्थिक रूप से एक क्रियाकलाप में सम्मलित किया जाना है|
एस. जी. एस. वाई. के अंतर्गत लाभार्थी को स्वरोजगारी कहा जाता है। लेकिन समूह को ज्यादा बल दिया जाता है जिसके तहत ग्रामीण गरीब को स्वयं सहायता समूह में संगठित किया जाता है। सहायता प्रदान करने के लिए लाभार्थी का चुनाव ग्राम सभा द्वारा गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का चुनाव किया जाता है।
स्वयं सहायता समूह
एस.जी.एस.वाई. का मुख्य बिन्दु सबसे निचले स्तर के लोगों को संगठित कर गरीबी को मिटाना है। यह योजना विश्वास करता है कि गरीबों के बीच में खुद की सहायता करने की जबरजस्त संभवना है। सम्भवना का सदुपयोग गरीब परिवारों का संगठनबनाके किया जा सकता है और यह संगठन स्वयं सहायता समूह होगा। जहाँ पर वे लोग पूर्ण एवं प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर गरीबी उन्मूलन के बारे में स्वयं निर्णय ले सकेंगे।
स्वयं सहायता समूहों का निर्माण
स्वयं सहायता समूह ग्रामीण गरीबों का समूह है जो अपनी इच्छा अनुसार संगठित होकर सदस्यों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाना चाहते हैं। सदस्यगण छोटी रकम जमा करने को तैयार होते हैं जो बाद में संसाधन कोष में बदल जाता है।
एस.जी.एस.वाई. के तहत स्वयं सहायता समूह बनाते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना जरूरी है:
- सदस्यों की संख्या कम से कम 10 और अधिक से अधिक 20 होनी चाहिए।
- सभी सदस्य गरीबी रेखा से नीचे गुजर – बसर करने वाले तथा एक परिवार से एक ही सदस्य समूह में हो सकता है। एक सदस्य दूसरे समूह का सदस्य नहीं हो सकता है।
- समूह का अपना नियम – कानून होना चाहिए जैसे बैठकी हरेक महीने होगी, निर्णय जन- सहभागिता से होगी, आदि।
- समूह बैठकी के लिए मुद्दा तैयार करने में सक्षम हो और इसके अनुसार चर्चा चला सके।
- समूह अपनी बचत से कोष का निर्माण तथा चंदा को संग्रह कर सके।
- समूह अपने कोष से सदस्यों को ऋण दे सके और वित्तीय प्रबंधन के नियम – कानून का विकास करे।
- समूह बैंक में ऋण के संबंध में सामूहिक निर्णय ले सके।
- समूह का अपना बैंक खाता बही, साधारण खाता बही, रोकड़ बही, बैंक पास बुक और व्यक्तिगत पास बुक रख सके।
- समूह को प्रस्ताव पुस्तिका, उपस्थिति बही,ऋण खता बही, साधारण कहता बही, रोकड़ बही, बैंक पास बुक और व्यक्तिगत पास बुक रख सके।
10. विकलांगों के लिए एक ही तरह का विकलांग समूह होना चाहिए। अगर क्षेत्र में एक तरह के विकलांग नहीं है तो उनके तरह के विकलांगों को मिलाकर समूह बनाया जा सकता है।
स्वयं सहायता समूह अनौपचारिक होगा। समूह सोसाइटी रजिस्ट्रेशन कानून या राज्य सहकारिता कानून के तहत निबंधन करा सकता है।
स्वयं सहायता समूहों का क्षमता विकास
सभी स्वयं सहायता समूहम जो कम से कम 6 महीनों से काम कर रहा है, एक फायदेमंद समूह माना जायेगा और समूह दुसरे चरण में पहुँच जाएगा। चक्रीय वित्त प्राप्त कर सकता है तथा समूह के प्रत्येक सदस्य को क्षमता विकास के लिए चुना जा सकता है। चक्रीय वित्त का प्रबन्धन डी. आर.डी. ए. करेगी जिसमें 10% वित्तीय सहयोग एस. जी. एस. वाई. का रहेगा।
चक्रीय कोष प्रबंधन
समूह चक्रीय कोष प्रबंधन में निम्नलिखित सिद्धांतों का पालन करती है –
- कोष से अधिक से अधिक सदस्यों को ऋण प्रदान करना जिससे प्रति व्यक्ति ऋण को बढ़ावा मिल सके।
- वित्तीय कोष का प्रयोग वैसे ही करना चाहिए जैसे हम अपने बचत कोष का करते है।
- समूह सदस्यों की ऋण की आवश्यकता के बारे में चर्चा करेगी तथा सदस्यों ( आवश्यकता अनुसार) को ऋण (बचत+सूद+चक्रीय कोष) देगी, साथ ही साथ ऋण वापसी विवरण तथा सूद दर तय करेगी। जो रकम ऋण से प्राप्त होगा उसे उनके सदस्यों को दिया जा सकता है।
- सदस्यों से अपेक्षा की जाती है की सक्रिय कोष का उपयोग उसी कोष के लिए किया जायेगा जिस काम के लिए स्वीकृत की गई है।
- सदस्यों से यह भी अपेक्षा की जाती है किउचित समय पर ऋण अदा करें। ऐसे समूह जिन्होंने द्वाकरा (डी.डब्ल्यू.सी.आर.ए.) या अन्य सरकारी कार्यक्रम के अंतर्गत चक्रीय कोष प्राप्त कर लिया है, एस. जी. एस. वाई. के तहत चक्रीय कोष प्राप्त नहीं कर सकते हैं। लेकिन उन्हें सामान्य ऋण तथा अनुदान लेने में कोई रूकावट नहीं होगा।
स्वयं सहायता समूहों से अपेक्षा
- यह ध्यान रहे कि प्रति व्यक्ति ऋण की राशि की प्रत्येक वर्ष क्रमश: अभिवृद्धि हो।
- उपभोक्ता ऋण उत्पादन के रूप स्थानांतरित हो।
- प्रत्येक अपने समूह सदस्यों की प्रशिक्षण की आवश्यकताओं की सही पहचान करें।
- सदस्यगण अपनी स्थिति को समझने के योग्य हो तथा गरीबी से छूटकारा पाने के लिए अवसरों को पहचाने।
- समूह अनुदान आधारित कार्यक्रम स्वतंत्र रूप से लागू कर सके।
- सभी सदस्यों को आर्थिक कार्यक्रमों की पूर्ण जानकारी हो।
आर्थिक कार्यक्रम
जब स्वयं सहायता समूह दूसरा चरण पर कर लेता है तो समूह को आर्थिक क्रियाकलापों के लिए सहायता योग्य समझा जाता है। यह सहायता (1) ऋण के रूप में और (2) अनुदान के रूप में मिल सकती है। एस. जी. एस. वाई. के अंतर्गत समूह में व्यक्तिगत रूप में ऋण सह अनुदान मिल सकता है। इसके लिए स्वरोजगारकर्त्ता रोजगार करने में सक्षम में ऋण एवं अनुदान के लिए सामूहिक रूप में कार्यक्रम चलाता होगा। समूह में ऋण एवं अनुदान के लिए सामूहिक रूप में कार्यक्रम चलाता होगा। इसके लिए समूह को 50% अनुदान के रूप में देय है जिसका अधिकतम सीमा 1.25 रूपया है।
व्यक्तिगत स्वरोजगारी की पहचान एवं चुनाव
पहचान पद्धति – प्रखंड एस. जी. एस. वाई. समिति गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले ग्रामीणों की सूची प्रत्येक साल तैयार करेगी। सूची तैयार होने के बाद सम्बन्धित मुखिया/सरपंच को इसकी सूचना दी जाएगी। व्यक्तिगत स्वरोजगार ग्राम सभा की बैठकी में चुना जायेगा। यह संभव है की पंचायत स्तर की बैठकी में गरीबों की सहभगिता पाने के लिए तीन सदस्यों का एक दल बनाया जायेगा जिसमें बी.डी.ओ. या उसका प्रतिनिधि, बैंक अधिकारी एवं संबंधित मुखिया/ सरपंच रहेंगे जो समय- सारिणी के अनुसार गांवों का दौरा करेंगे। साथ ही समय- सारिणी हर क़स्बा में प्रकाशित करायी जाएगी।
चुनाव की शर्त्तेें
- चुनाव में खुलापन एवं पारदर्शिता होना बहुत जरूरी है।
- गरीबों में से ही गरीब का चुनाव होना चाहिए।
- यदि इच्छुक स्वरोजगारी उम्मीदवारों की संख्या उपलब्ध परियोजना से अधिक हो जाए जिससे केवल अति उत्तम कार्यक्रम लिए जा सकें।
चुनाव के बाद बी.डी.ओ. का कर्त्तव्य है कि चुने गए स्वरोजगारी का प्रपत्र भरने के लिए प्रबंध करे। गाँव में बहुत सारे स्वरोजगारी अनपढ़ भी हो सकते हैं अत: बैंक प्रपत्र बहुत ही साधारण होना चाहिए लेकिन प्रपत्र कानूनी आवश्यकताओं को अवश्य ही पूरा करेगा। प्रपत्र स्थानीय भाषा में भी हो सकता है।
स्वरोजगारी के चुनाव के बाद बी.डी.ओ. स्वरोजगारियों की सूची को मुद्रित कर एक प्रतिलिपि सम्बन्धित ग्राम पंचायत को उपलब्ध कराएगा ताकि ग्राम सभा की अगली बैठकी में प्रस्तुत किया जा सके। साथ ही यह सूची डी. आर.डी.ए. बैंक तथा अन्य संबंधित एजेंसियों को बी उपलब्ध करायी जाएगी।
ऋण प्रदान करने वाले बैंक
स्वरोजगारी को योजना के तहत वित्तीय सहयोग देने वाले बैंक
- व्यवसायिक बैंक
- सहकारी बैंक और
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक द्वारा प्रदान किया जायेगा।
बैंक में प्रपत्र की स्वीकृति
बैंक में प्रपत्र जमा करने के दिन से पन्द्रह (15) दिन के अंदर स्वीकृत कर दिया जाता है। इसकी सूचना बैंक ग्राम पंचायत को देगा जिसे ग्राम सभा की अगली बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। बैंक बी.डी.ओ. एवं अन्य संबंधित विभागों को भी सूची भेज देगा।
बैंक समूह को भी ऋण देता है जिसकी पद्धति व्यक्तिगत ऋण जैसी ही है। किसी भी परिस्थिति में बैंक पूर्व वित्त व्यवस्था या निम्न वित्त व्यवस्था नहीं करेगा लेकिन अगर क्रियाकलाप ही ऐसा है जहाँ विभिन्न स्तर पर पैसे की जरूरत है तो वह ऐसा कर सकता है।
जब ऋण की स्वीकृति हो जाती है तो इसकी सूचना संबंधित विभाग को दे दी जाती है ताकि स्वरोजगारी की कुशलता का पता लगा सके।
जब स्वरोजगारी दक्षता प्रशिक्षण पूरा कर लेता है तो बैंक तुरंत रकम देगा लेकिन अनुदान रकम अंत में देगा।
बहूलित ऋण और बहूलित मात्रा
इस योजना के अंतर्गत स्वरोजगार से घनिष्ट सम्बन्ध बनाने की कोशिश की जाती है ताकि अवश्यतानुसार ऋण बार- बार दिया जा सके। अगर ऋण समय पर ऋण वापस कर देता है तो दुबारा ऋण दिया जा सकता है जिसमे अनुदान रह/नहीं रह सकता है।
अनुदान योजना के अंतर्गत अनुदान की राशि एक समान (30%) है जिसकी सीमा 7500 रूपया है लेकिन अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जन जाति के लिए अनुदान (50%) या अधिकतम सीमा 10,000 रूपये तक होगा।
स्वयं सहायता समूह में स्वरोजगारी के लिए अनुदान 50% होगा जिसकी अधिकतम राशि 1.25 लाख रूपया होगा। सिंचाई परियोजनाओं के लिए अनुदान की कोई सीमा नहीं है।
ऋण भुगतान
सभी ऋण मध्यवर्ती ऋण है जिनकी अवधि कम से कम 5 साल होगी। ऋण की किस्त नाबार्ड एवं डी.एल.सी.सी. द्वारा निर्धारित किया जायेगा। लेकिन भुगतान की किस्त कुल आय की 50% से ज्यादा नहीं होगी। किस्तों की संख्या मूल रकम, सूद और भुगतान समय को देखते हुए निर्धारित किया जाएगा।
अगर स्वरोजगारी ऋण रकम को भुगतान की अवधि के अंदर वापस करता है रो स्वरोजगारी अनुदान के लिए हकदार नहीं होगा।
भुगतान की अवधि को मुख्यत: तीन श्रेणियों में बाँटा गया है –
श्रेणी भुगतान की अवधि
प्रथम – 5 साल
द्वितीय – 7 साल
तृतीय – 9 साल
अगर ऋण की रकम क्रमशः 3, 4 और 5 वर्षों में चुकता कर दी जाती है तो स्वरोजगारी केवल यथानुपात अनुदान का ही हकदार होगा।
सेवा क्षेत्र पद्धति
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा यह पद्धति 1.4.89 ले लागू हो गयी है। इसके अंतर्गत ग्रामीण एवं अर्द्ध शहरी क्षेत्रों के व्यपारिक एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को कुछ गांवों को चुन कर सारी गतिविधियाँ उन्हीं गांवों में चलायी जाती हैं।
दक्षता विकास
स्वरोजगार की सफलता और टिकाऊपन के लिए स्वरोजगारियों में हुनर एवं कुशलता का होना बहुत ही जरूरी है। अत: स्वरोजगारियों की कुशलता को बढ़ाने के लिए विभिन्न तरह के उपायों का प्रस्ताव किया जाता है। जिला एस. जी. एस. वाई. समिति विभिन्न संबंधित विभागों से परामर्श करके यह पहचान करती है की किस तरह का प्रशिक्षण संस्थान/केंद्र का चुनाव कर निहित आवधि के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है।
यह प्रशिक्षण दो तरह का हो सकता है:
- तकनीकी दक्षता के लिए (प्रशिक्षण से संबंधित) विभाग आयोजित होगा
- प्रबंधीय दक्षता – बैंक आयोजन करेगा।
प्रशिक्षण के बाद स्वरोजगारी को उन्मुखीकरण कार्यक्रम से गुजरना पड़ता है जो ऋण स्वीकृति और ऋण वितरण के बीच के समय में आयोजित किया जाता है। यह अनिवार्य कार्यक्रम प्रखंड में आयोजन किया जाता है और कार्यक्रम स्थल स्वरोजगारी के गाँव से बहुत दूरी पर नहीं हो सकता है।
प्रशिक्षण के लिए नजदीक की स्वयं सेवी संस्थाएँ, महाविद्यालयों एवं अन्य सरकारी संस्थानों को आमंत्रित किया जा सकता है।
एस. जी. एस. वाई. का कुल बजट का 10% प्रशिक्षण एवं उन्मुखी कार्यक्रम के लिए अलग से रखा जायेगा।
उन्मुखी कार्यक्रम का उद्देश्य
- स्वरोजगारी को अपने दायित्व की पहचान करना।
- सम्भावित जोखिम के बारे में सावधान रहना।
- बही खाता का रख-रखाव के बारे में जानकारी देना, आदि।
स्रोत: ज़ेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची
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Sir Maine sgsy yojna me Kam Kiya hai lekin ab up me yojna band ho Jane se main berojgar hun agar aap mujhe job de sakte hai to aapki days hogi